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MANISHI KI LOKAYATRA /मनीषी की लोकयात्रा (महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज का जीवन-दर्शन)

By: Language: Hindi Publication details: Varanasi Vishwavidhyalay Prakashan 2016/01/01Edition: 12Description: 468ISBN:
  • 9788171249763
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Lending Lending Ernakulam Public Library General Stacks Non-fiction HL BHA/MA (Browse shelf(Opens below)) Available H116292

महामहोपाध्याय पं० गोपीनाथ कविराज वर्तमान युग के विश्वविख्यात भारतीय प्राच्यविद् तथा मनीषी रहे हैं। इनकी ज्ञान साधना का क्रम वर्तमान शताब्दी के प्रथम दशक से आरम्भ हुआ और प्रयाण-काल (1975 ई०) तक वह अबाधरूप से चलता रहा। इस दीर्घकाल में उन्होंने पौरस्त्य तथा पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान की विशिष्ट चिन्तन पद्धतियों का गहन अनुशीलन कर साहित्य, दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में जो अंशदान किया है उससे मानव-संस्कृति तथा साधना की अंतर्धाराओं पर नवीन प्रकाश पड़ा है, नयी दृष्टि मिली है। उन्नसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युग चेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम् पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप के कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है। ऐसे मनीषी की जीवनकथा, साहित्य-साधना, सत्संग, पत्राचार, तत्त्वविचार, स्वात्म-संवेदन तथा लोक-परलोक-सम्बन्धी विभिन्न विषयों में रुचि और गति का अनुशीलन करते हुए इस कृति में पाठक आत्मदर्शी महात्माओं के साक्षात् सम्पर्क का आनन्दानुभव करेंगे। आशा है, कविराज जी की यह ज्ञानोज्जवल गाथा-स्वतन्त्रचेता साधकों सारग्राही विद्वानों तथा श्रद्धालु भक्तों सभी के लिए समान रूप से अभिनन्दनीय होगी।

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